पालक एक पत्तियों वाली भाजी है जो अपने गुणकारी असर के चलते सारे भारत में मशहूर है। सारे भारत में इसकी खेती की जाती है और इसे बडे चाव से सब्जी के तौर पर खाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम स्पीनेसिया ओलेरेसिया है। पालक में विटामिन क्वएं क्वबीं क्वसीं और क्वईं के अलावा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, क्लोरिन, थायामिन, फाइबर,
राइबोफ्लैविन और लौह तत्व आदि पाए जाते है। आदिवासी इसे अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर अपनाते हैं। आज जानते हैं पालक से जुडे हर्बल नुस्खों के बारे में..
पालक के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार ककड़ी, पालक और गाजर की समान मात्रा का जूस तैयार कर पीने से बालों का बढना प्रारंभ हो जाता है।
पालक के पत्तों का रस और नारियल पानी की समान मात्रा मिलाकर सुबह शाम लिया जाए तो पथरी घुलकर बाहर निकल आती है।
पीलिया के दौरान रोगी को पालक का रस कच्चे पपीते में मिलाकर दिया जाए तो अच्छा होता है, डाँग- गुजरात के आदिवासी पीलिया होने पर रोगी को छिलके वाली मूंग की दाल में पालक डालकर तैयार की गयी सब्जी खिलाते है।
निम्न रक्तचाप के रोगियों को प्रतिदिन पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए। माना जाता है कि यह रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
थायरॉइड में एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
पातालकोट के आदिवासी पालक के जूस से कुल्ला करने की सलाह देते है, इनके अनुसार ऐसा करने से दाँतो की समस्याओं, मुँह की बदबू जैसे विकार दूर हो जाते है।
जिन्हें एनिमिया या रक्त अल्पता की शिकायत हो उन्हें प्रतिदिन पालक का रस (लगभग एक गिलास) दिन में 3 तीन बार अवश्य लेना चाहिए।
हृदय रोगियों को प्रतिदिन एक कप पालक के जूस के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए, ये बड़ा गुणकारी होता है।
जिन्हें कोलायटिस की समस्या हो, पालक और पत्तागोभी के पत्तों की समान मात्रा का रस तैयार कर कुछ दिनों तक लिया जाए तो आराम मिल जाता है।
पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।
राइबोफ्लैविन और लौह तत्व आदि पाए जाते है। आदिवासी इसे अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर अपनाते हैं। आज जानते हैं पालक से जुडे हर्बल नुस्खों के बारे में..
पालक के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार ककड़ी, पालक और गाजर की समान मात्रा का जूस तैयार कर पीने से बालों का बढना प्रारंभ हो जाता है।
पालक के पत्तों का रस और नारियल पानी की समान मात्रा मिलाकर सुबह शाम लिया जाए तो पथरी घुलकर बाहर निकल आती है।
पीलिया के दौरान रोगी को पालक का रस कच्चे पपीते में मिलाकर दिया जाए तो अच्छा होता है, डाँग- गुजरात के आदिवासी पीलिया होने पर रोगी को छिलके वाली मूंग की दाल में पालक डालकर तैयार की गयी सब्जी खिलाते है।
निम्न रक्तचाप के रोगियों को प्रतिदिन पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए। माना जाता है कि यह रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
थायरॉइड में एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
पातालकोट के आदिवासी पालक के जूस से कुल्ला करने की सलाह देते है, इनके अनुसार ऐसा करने से दाँतो की समस्याओं, मुँह की बदबू जैसे विकार दूर हो जाते है।
जिन्हें एनिमिया या रक्त अल्पता की शिकायत हो उन्हें प्रतिदिन पालक का रस (लगभग एक गिलास) दिन में 3 तीन बार अवश्य लेना चाहिए।
हृदय रोगियों को प्रतिदिन एक कप पालक के जूस के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए, ये बड़ा गुणकारी होता है।
जिन्हें कोलायटिस की समस्या हो, पालक और पत्तागोभी के पत्तों की समान मात्रा का रस तैयार कर कुछ दिनों तक लिया जाए तो आराम मिल जाता है।
पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।
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